रेणुकूट (Sonbhadra News): सोनभद्र जिले के रेणुकूट वन प्रभाग अंतर्गत कोरची ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने बभनी वन क्षेत्र के गोहड़ा बीट पर तैनात वन दरोगा और वाचरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सूखी लकड़ियों को जलावन के लिए काटने पर उनसे डरा-धमका कर अवैध वसूली की जा रही है। इस संबंध में गुरुवार को ग्रामीणों ने आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है (शिकायत संख्या: 40020025000578)।

1 लाख की अवैध वसूली का आरोप ( Sonbhadra News )
शिकायतकर्ता अंतू, महादेव, देव नारायण, लालजी और अन्य ने बताया कि गोहड़ा बीट पर तैनात वन दरोगा और उनके वाचक, बुद्घिनारायण कन्नौजिया व लक्ष्मीनारायण कन्नौजिया ने उन्हें धमकाया और सूखी लकड़ी काटने पर 5,000 से 20,000 रुपये तक की अवैध वसूली की। ग्रामीणों के अनुसार, सात लोगों से कुल मिलाकर लगभग 1 लाख रुपये की अवैध वसूली की गई।
पौधरोपण में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप
ग्रामीणों ने 2022-23 और 2023-24 के दौरान वन विभाग द्वारा किए गए पौधरोपण कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के भी आरोप लगाए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पौधरोपण योजनाओं के तहत गड्ढे की खुदाई, झाड़ियों की कटाई, मजदूरी और पौधों की खरीद के नाम पर चार से पांच गुना अधिक भुगतान दिखाया गया।
अधिकारियों ने अपने नजदीकी लोगों के खातों में 58,000-58,000 रुपये ट्रांसफर किए और उन्हें केवल 2,000-3,000 रुपये देकर शेष राशि स्वयं रख ली।
महिलाओं के खातों में ट्रांसफर किया गया धन
ग्रामीणों का आरोप है कि बुद्धिनारायण कन्नौजिया और लक्ष्मीनारायण कन्नौजिया ने अपनी पत्नियों के खातों में लाखों रुपये का अवैध लेन-देन किया। पौधरोपण के नाम पर आवंटित धन का अधिकांश हिस्सा अधिकारियों और कर्मचारियों ने निजी लाभ के लिए हड़प लिया।

ग्रामीणों ने की निष्पक्ष जांच की मांग
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इन भ्रष्टाचारों के कारण न केवल योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं हो रहा है, बल्कि उनके जीवन को भी खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि:
मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।
दोषी वन दरोगा और वाचकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
पौधरोपण योजनाओं के तहत हुए वित्तीय लेन-देन की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
वन विभाग ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
शिकायत दर्ज होने के बाद भी वन विभाग के अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। मामले ने स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। वहीं, प्रशासन से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह दोषियों को सजा देकर भ्रष्टाचार पर रोक लगाए और ग्रामीणों का विश्वास बहाल करे।