एक छोटा बच्चा अपने माँ से नराज होकर चिल्लाने लगा, "मैं तुमसे नफरत करता हूँ । "
उसके बाद वह फटकारे जाने के डर से घर से भाग गया ।
वह पहाड़ियों के पास जाकर चीखने लगा, "मैं तुमसे नफरत करता हूँ , मैं तुमसे नफरत करता हूँ । " और वही आवाज गूँजी, "मैं तुमसे नफरत करता हूँ , मैं तुमसे नफरत करता हूँ । " उसने जिंदगी में पहली बार गूँज सुनी थी ।
JIVAN EK GUNJ HAI
वह डर कर बचाव के लिए माँ के पास भागा और बोला, घाटी में एक बुरा बच्चा है जो चिल्लाता है, "मैं तुमसे नफरत करता हूँ , मैं तुमसे नफरत करता हूँ । "
उसकी माँ सारी बात समझ गई और उसने अपने बेटे से कहा कि वह पहाड़ी पर जा कर फिर से चिल्ला कर कहे, " मैं तुम्हें प्यार करता हूँ , मैं तुम्हें प्यार करता हूँ । "
छोटा बच्चा वहाँ गया और चिल्लाया, " मैं तुम्हें प्यार करता हूँ , मैं तुम्हें प्यार करता हूँ । " और वही आवाज गूँजी ।
और इस तरह इस घटना से उस बच्चे को एक सीख मिली - हमारा जीवन एक गूँज की तरह है । हमे वही वापस मिलता है, जो हम देते हैं ।
संध्या के समय कादम्बिनी ने पूछा, ‘क्यों रे किशन, वहां क्या खा आया?’
किशन ने बहुत लज्जित भाव से सिर झुकाकर कहा, ‘पूड़ी।’
‘काहे के साथ खाई थी?’
किशन ने फिर उसी प्रकार कहा, ‘रोहू मछली के मूंड की तरकारी, सन्देश, रसगु...।’
‘अरे में पुछती हूं की मंझबी बहू ने मछली की मूंड किसकी थाली में परोसी थी?’
सहसा यह प्रश्न सुनकर किशन का चहेरा लाल पीला पड़ गया। प्रहार के लिए उठे हुए हथियार को देखकर रस्सी सें बंधे हुए जानवर की जो हालत होती है, किशन की भी वही हालत होने लगी। देर करते हुए देखकर कादम्बिनी ने पूछा, ‘तेरी ही थाली में परोसा था ने?’
नवीन ने संक्षेप में केवल ‘हूं’ करके फिर तम्बाकू का कश खींचा।
कादम्बिनी गर्म होकर कहने लगी, ‘यह अपनी है। जरा इस सगी चाची का व्यवहार तो देखो। वह क्या नहीं जानती कि मेरे पांचू गोपाल को मछली का मूंड़ कितना अच्छा लगता है? तब उसने क्या समझकर वह मूंड़ उसकी थाली में परोस कर इस तरह बेकार ही बर्बाद किया? अरे हां रे किशन, संदेश और रसगुल्ले तो तूने पेट भर कर खाए न? कभी सात जन्म में भी तूने ऐसी चीजें न देखी होंगी।’
इसके बाद फिर पति की ओर देखकर कहा, ‘जिसके लिए मुठ्ठी भर भात गनीमत हो, उसे पूड़ी और सन्देश खिलाकर क्या होगा? लेकिन मैं तुमसे कहे देती हूं कि मंझबी बहू अगर किशन को बिगा़ड़ सकेगी, लेकिन उनकी पत्नी को स्वयं अपने आप पर ही विश्वास नहीं था। बल्कि उसे इस बात का सोलह आने डर था कि मैं सीधी-सादी और भली मानुस हूं। मुझे जो भी चाहे ठग सकता है, इसीलिए उसने तभी से अपने छोटे भाई के मानसिक उत्थान और पतन के प्रति अपनी पैनी नजरें बिछा दीं।’
दूसरे ही दिन दो नौकरों में से एक नौकर की छुट्टी कर दी गई। किशन नवीन की धान और चावब वाली आढ़त में काम करने लगा। वहां वह चावल आदि तौलता, बेचता। चार-पांच कोस को चक्कर लगाकर गांवों से नमूने ले आता और जब दोपहर को नवीन भोजन करने आते तब दुकान देखता।
दो दिन बाद की बात है। नवीन भोजन करने के बाद नींद समाप्त करके लौटकर दुकान पर गए और किशन खाना खाने घर आया। उस समय तीन बजे थे। वह तालाब में नहाकर लौटा तो उसने देखा, बहन सो रही है। उस समय उसे इतनी जोर की भूख लग रही थी कि आवश्यक होता तो शायद वह बाध के मूंह से भी खाना निकाल लाता, लेकिन बहन के जगाने का वह साहस नहीं कर पाया।
वह रसोई के बाहर वाले बरामदे में एक कोने में चुपचाप बैठा बहन के जागने की प्रतीक्षा कर रहा था कि अचानक उसने पुकार सुनी, ‘किशन!’
वह आवाज उसके कानों को बड़ी भली लगी। उसने सिर उठाकर देखा-मंझली बहन अपनी दूसरी मंजिल के कमरे में खिड़की के पास खड़ी है। किशन ने एक बार देखा और फिर सिर झुका लिया। थोड़ी देर में हेमांगिनी नीचे उतर आई और उसके सामने आकर खड़ी हो गई। फिर बोली, ‘कई दिन से दिखाई नहीं दिया किशन! यहां चुपचाप क्यों बैठा है?’
एक तो भूख में वैसे ही आंखे छलक उठती हैं। उस पर ऐसी स्नेह भरी आवाज! उसकी आंखों में आंसू मचल उठे। वह सिर झूकाए चुपचाप बैठा रहा। कोई उत्तर न दे सका।
मंझली चाची को सभी बच्चें प्यार करते हैं। उसकी आवाज सुनकर कादम्बिनी की छोटी लड़की बाहर निकल आई और चिल्लाकर बोली, ‘किशन मामा, रसोईघर में तुम्हारे लिए भात ढका हुआ रखा है, जाकर खा लो। मां खा-पीकर सो गई हैं।’
हेमांगिनी ने चकित होकर कहा, ‘किशन ने अभी तक खाना नहीं खाया? और तेरी मां खा-पीकर सो गई? क्यों रे किशन, आज इतनी देर क्यों हो गई?’
किशन सिर झुकाए बैठा रहा। टुनी ने उसकी ओर से उत्तर दिया, ‘मामा को तो रोजाना ही इतनी देर हो जाती है। जब बाबूजी खा-पीकर दुकान पर पहूच जाते है तभी यह खाना खाने आते है।’
हेमांगिनी समझ गई कि किशन को दुकान के काम पर लगा दिया गया है। उसे यह आशा तो कभी नहीं थी कि उसे खाली बैठाकर खाने को दिया जाएगा। फिर भी इस ढलती हुई बेला को देखकर और भूख-प्यास से बेचैन बालक के मुंहको निहारकर उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। वह आंचल से आंसू पोंछती हुई अपने घर चली गई और कोई दो ही मिनट के बाद हाथ में दूध से भरा हुआ एक कटोरा लेकर आ गई।
लेकिन रसोई घर में पहुचते ही वह कांप उठी और मुंह फेरकर खड़ी हो गई।
किशन खाना खा रहा था। पीतल की एक थाली में ठंड़ा, सूखा और ढेले जैसे बना हुआ भात था। एक ओर थोड़ी-सी दाल थी और पास ही तरकारी जैसी चीज। दूध पाकर उसका उदास चेहरा खुशी से चमक उठा।
हेमांगिनी दरवाजे से बाहर आकर खड़ी रही। भोजन समाप्त करके किशन जब ताल पर कुल्ला करने चला गया, तब उसने झांककर देखा, थाली में भात का एक दाना भी नहीं बचा है। भूख के मारे वह सारा भात खा गया है।
हेमांगिनी का लड़का भी लगभग इसी उम्र का था। वह सोचने लगी कि अगर कहीं मैं न रहूं और मेरे लड़के की यह दशा हो तो? इस कल्पना मात्र से रुलाई की एक लहर उसके अंतर से उठी और गले तक आकर फेनिल हो उठी। उस रुलाई को दबाए हुए वह अपने घर चली गई।
स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने, मन को शांत करने और जीवन को सही दिशा देने में मेडिटेशन मददगार साबित हो सकता है। ध्यान की सहायता से बच्चे खुद को अपने लक्ष्य पर केंद्रित कर सकते हैं। इसके लिए बच्चों को कम उम्र से ही ध्यान लगाना सिखाना जरूरी है। इससे बच्चों को शारीरिक ही नहीं, मानसिक फायदे भी मिल सकते हैं। यही वजह है कि CKVINDIA बच्चों के लिए मेडिटेशन से जुड़ी पूरी जानकारी लेकर आया है। इस लेख में हम बच्चों को मेडिटेशन सिखाने की सही उम्र, ध्यान के फायदे और ध्यान के प्रकार बता रहे हैं।
सबसे पहले जानिए कि बच्चों के लिए ध्यान लगाना क्यों महत्वपूर्ण है।
Meditation For People In Hindi
Meditation For People In Hindi: बच्चों के लिए मेडिटेशन क्यों जरूरी है?
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मेडिटेशन करने से बच्चों को अवसाद से राहत मिल सकती है। साथ ही यह दर्द कम करने, मन की शांति को बढ़ाना और मस्तिष्क कार्य बेहतर करने में भी सहायक हो सकता है (1)। यही नहीं, ध्यान को कॉग्निटिव (संज्ञानात्मक), इमोशनल (भावनात्मक) और सोशल (सामाजिक) क्षमताओं में सुधार करने के लिए भी जाना जाता है। रिसर्च के दौरान इसे शैक्षणिक विकास के लिए भी अच्छा माना गया है (2)।
बच्चों को ध्यान सिखाने के लिए सबसे अच्छा समय कब है?
सुबह या शाम के समय जब बच्चे पूरी तरह शांत हों और उनके दिमाग में दूसरी चीजें न चल रही हो, तब उन्हें मेडिटेशन सिखाया जा सकता है। अगर ध्यान सीखने की उम्र की बात करें, तो बच्चे जब सही से पालथी मारकर यानी पैर मोड़कर एक ही स्थिति में बैठने में सक्षम हो जाएं, तब से उन्हें मेडिटेशन की सीख दी जा सकती है।
मेडिटेशन को लेकर हुए एक रिसर्च के दौरान सबसे कम उम्र के बच्चे 3 साल के थे और ध्यान लगाने से उनमें एकाग्रता व व्यवहार संबंधी बदलाव नजर आए। इसी अध्ययन में यह भी कहा गया है कि मेडिटेशन सीखने के लिए बच्चे को कम-से-कम दो साल की उम्र का होना जरूरी है (3)।
आगे बच्चों के लिए ध्यान के कुछ प्रकार पर एक नजर डाल लेते हैं
बच्चों के लिए मेडिटेशन (ध्यान) के प्रकार
वैसे तो मेडिटेशन के कई प्रकार है, जिनमें से कुछ बच्चों को सिखाया जा सकता है। बच्चों के लिए ध्यान के प्रकार में ये शामिल हैं (1):
1. माइंडफुल मेडिटेशन (Mindful Meditation) : यह एक ऐसा मेडिटेशन है, जिसमें मन में आने वाले विचारों पर विराम लगाया जाता है। माइंडफुलनेस मेडिटेशन का उद्देश्य आंतरिक शांति को महसूस करना और मन को पुरानी व इधर-उधर की बातों से हटाना है। साथ ही इस दौरान ध्यान सांसों पर केंद्रित करके लंबी सांस ली व छोड़ी जाती है (4)।
2. मंत्र मेडिटेशन (Mantra Meditation) : बच्चों के लिए ध्यान का एक प्रकार मंत्र मेडिटेशन भी है। इसमें आंख बंद करके ध्यान केंद्रित करने के साथ ही किसी एक मंत्र का जप किया जाता है। ध्यान के दौरान बोला जाने वाला सबसे प्रचलित मंत्र ओम है। इस मंत्र को लंबे सुर में बार-बार दोहराना होता है (5)।
3. स्पिरिचुअल मेडिटेशन (Spiritual Meditation) : इस ध्यान के प्रकार को करने के लिए मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। इस दौरान जैसा मार्गदर्शक व धर्मगुरु कहते हैं, उसी तरह से ध्यान लगाया जाता है। इस मेडिटेशन को चिंता कम करने के साथ ही मूड बेहतर करने के लिए जाना जाता है। यही नहीं, इससे सकारत्मक विचारों को भी बढ़ावा मिल सकता है (6)।
इस लेख के अगले भाग में हम मेडिटेशन करने के तरीके बताने जा रहे हैं।
कैसे करें मेडिटेशन?
बच्चों को मेडिटेशन सिखाना आसान है। बस इसके लिए बच्चे को कहें कि वो आपको फॉलो करें और आप दिए गए बिंदुओं की मदद ले सकते हैं।
बच्चों को मेडिटेशन कराने के लिए सुबह खुली और शांत जगह में ले जाएं। घर के ही किसी शांंत कोने में भी ध्यान किया जा सकता है।
स्वच्छ स्थान में मैट बिछाकर खुद पालथी मारकर आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं और बच्चे को भी ऐसा ही करने को कहें।
इस दौरान बच्चे का शरीर सीधा रहना चाहिए।
फिर आंखें बंद करें और बच्चे को भी आंखें बंद करने के लिए बोलें।
अब बच्चे को धीरे-धीरे सांस लेने और बहार छोड़ने के लिए कहें।
सांस छोड़ने की क्रिया के दौरान ओम का जाप भी कर सकते हैं।
शुरुआत में लगभग 5 से 10 मिनट बाद बच्चे को आंखें खोलने के लिए कह सकते हैं।
मेडिटेशन के समय को धीरे-धीरे करके बढ़ा सकते हैं।
अब हम बच्चों के लिए ध्यान लगाने के फायदे बता रहे हैं।
बच्चों के लिए मेडिटेशन के फायदे
मेडिटेशन करने से हर किसी को लाभ होता है। बच्चों के संदर्भ में मेडिटेशन के लाभ जानने के लिए लेख को आगे पढ़ें।
1. नींद में सुधार – बच्चों को मेडिटेशन कराने के फायदे में से एक नींद में सुधार है। इस बात की पुष्टि एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च द्वारा हुई है। शोध की मानें, तो बच्चों द्वारा नियमित ध्यान लगाने से उनकी नींद की गुणवत्ता बढ़ती है, जिससे वो अच्छी नींद सो पाते हैं (7)।
2. तनाव से राहत – तनाव से राहत दिलाने में भी ध्यान की अहम भूमिका हो सकती है। इस संबंध में प्रकाशित शोध में दिया हुआ है कि मेडिटेशन करने से मन शांत होता है। इससे तनाव कम हो सकता है। साथ ही यह तनाव संबंधी हार्मोन कोर्टिसोल को कम करके स्ट्रेस और अन्य तरह की मानसिक समस्याओं को दूर रख सकता है (8)।
3. अवसाद और चिंता में कमी – रोजाना ध्यान लगाने के फायदे अवसाद और चिंता जैसी स्थिति में भी हो सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक अध्ययन के अनुसार, मेडिटेशन भावनात्मक लक्षण को कम करने का काम कर सकता है, जिसमें अवसाद और चिंता भी शामिल हैं (9)।
4. एकाग्रता को बढ़ावा – बच्चों के पढ़ाई में मन नहीं लगने का एक कारण एकाग्रता की कमी हो सकता है। ऐसे में ध्यान लगाने से उनकी एकाग्रता को बढ़ावा मिल सकता है। इस बात की जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च में भी मौजूद है (10)।
5.दर्द में कमी – एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक, मेडिटेशन करने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के दर्द कम हो सकते हैं । दरअसल, मेडिटेशन व्यक्ति के सेंसरी (शरीर की प्रतिक्रिया को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाला) प्रक्रिया को प्रभावित करके दर्द में कमी ला सकता है (11)।
6. याददाश्त में सुधार – मेडिटेशन करने का सकारात्मक असर याददाश्त पर भी पड़ सकता है। रिसर्च बताती हैं कि इसके नियमित अभ्यास से याददाश्त को बढ़ावा मिलता है (8)। इसी वजह से स्कूल जाने वाले बच्चों को ध्यान लगाना चाहिए।
7. रक्तचाप में कमी – बच्चों में उच्च रक्तचाप की समस्या को कम करने में भी मेडिटेशन के फायदे देखे जा सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च में बताया गया है कि माइंडफूलनेस मेडिटेशन करने से सिस्टोलिक (ऊपरी माप) ब्लड प्रेशर 4.8 mmHg और डायस्टोलिक (निचला माप) ब्लड प्रेशर 1.9 mmHg कम हो सकता है (12)।
8. मस्तिष्क के रक्त प्रवाह में सुधार – मेडिटेशन के दौरान की जाने वाली सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया से सिर के साथ ही पूरे शरीर का रक्त संचार बेहतर हो सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि ध्यान लगाने से मस्तिष्क के टिश्यू का भी रक्त प्रवाह बढ़ता है (8)।
9. अस्थमा में सुधार – ध्यान लगाने के फायदे में अस्थमा के लक्षण कम करना भी शामिल हो सकता है। दरअसल, मेडिटेशन के दौरान की जाने वाली सांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया से फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है। साथ ही इससे अस्थमा के लक्षण से भी कुछ हद तक राहत मिल सकती है (13)।
10. हृदय के लिए – एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मेडिटेशन करने से हृदय रोग के जोखिम कम हो सकते हैं। बताया जाता है कि ध्यान लगाने से कोर्टिसोल स्ट्रेस हार्मोन का स्तर कम होता है (12)। इस हार्मोन का स्तर बढ़ने से हृदय से जुड़ी समस्या उत्पन्न होती है (14)। इसी वजह से मेडिटेशन को हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।
मेडिटेशन काफी प्रभावकारी होता है, इसलिए इसे बच्चों से लेकर बूढों तक सभी को करना चाहिए। इससे दिन की शुरुआत करने से दिनभर मन शांत रहता है और एक अलग सी स्फूर्ति का एहसास भी होता है। इसी वजह से बच्चों को छोटी उम्र से ही मेडिटेशन के बारे में बताना और इसका अभ्यास करवाना चाहिए। इससे होने वाले अन्य फायदों के बारे में आप ऊपर पढ़ सकते हैं।