हाल ही में उत्तराखंड की Harsha Richaria के साध्वी बनने और सनातन धर्म के प्रति उनके समर्पण को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है। हरषा, जो पहले एक प्रसिद्ध एंकर थीं और अपने आकर्षक व्यक्तित्व और संवाद कौशल के लिए जानी जाती थीं, अब साध्वी का रूप धारण कर चुकी हैं। उनका यह परिवर्तन न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, बल्कि यह समाज में धार्मिक और आध्यात्मिक जागरूकता के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।

उनकी पुरानी वीडियो और छवि के कारण कुछ लोग इसे केवल प्रचार का जरिया मान रहे हैं, यह सोचते हुए कि शायद यह एक व्यवसायिक रणनीति हो सकती है। हालांकि, उनके पहले से लाखों अनुयायी रहे हैं, जो उनकी यात्रा को ध्यान से देख रहे हैं, और उनके इस कदम को कई लोग एक गहरे आध्यात्मिक परिवर्तन के रूप में देख रहे हैं। साध्वी बनने के इस निर्णय ने उनके अनुयायियों के बीच एक नई चर्चा को जन्म दिया है, जिसमें लोग उनके विचारों और दृष्टिकोण को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके साथ ही, सनातन धर्म की ओर पश्चिमी देशों का रुझान भी तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है। हाल ही में एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल ने भी सनातन धर्म में रुचि दिखाई, जो इस धर्म की वैश्विक स्वीकृति और उसके प्रति बढ़ते आकर्षण को दर्शाता है। लॉरेन पॉवेल जैसे व्यक्तित्वों का सनातन धर्म की ओर झुकाव यह संकेत करता है कि लोग अब आध्यात्मिकता और प्राचीन ज्ञान की ओर बढ़ रहे हैं, और इस धर्म के मूल सिद्धांतों को समझने और अपनाने के लिए तैयार हैं।
इसके अलावा, प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में भी ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां युवा और महिलाएं साध्वी बनने के लिए सन्यास मार्ग अपना रही हैं। जैसे कि 13 वर्षीय राखी सिंह ने जूना अखाड़े में प्रवेश किया और साध्वी गौरी बनीं, जो इस बात का प्रतीक है कि युवा पीढ़ी भी आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित हो रही है। यह घटनाएँ न केवल भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि कैसे आधुनिक समाज में धर्म और आध्यात्मिकता के प्रति एक नई जागरूकता का उदय हो रहा है। इस प्रकार, हरषा रिचारिया का साध्वी बनना और पश्चिमी देशों में सनातन धर्म के प्रति बढ़ता रुझान, दोनों ही घटनाएँ एक व्यापक सामाजिक और आध्यात्मिक परिवर्तन का संकेत देती हैं, जो आने वाले समय में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है।