Makar Sankranti 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण अत्यधिक शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति का पर्व मुख्य रूप से फसल कटाई के समय मनाया जाता है, जो किसानों के लिए एक नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन गंगा, यमुन, संगम जैसे पवित्र स्थलों पर स्नान और पूजा का विशेष महत्व है। पवित्र जल में स्नान करने से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शुद्धता भी प्राप्त होती है। साथ ही, मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष रूप से तिल और गुड़ का सेवन भी किया जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं और इनका सेवन करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

Makar Sankranti 2025:
तिथि: 14 जनवरी 2025
पद्मा तिथि: मकर संक्रांति तिथि 14 जनवरी को सुबह 5:46 बजे शुरू होगी और 15 जनवरी 2025 को सुबह 5:46 बजे समाप्त होगी। यह समय विशेष रूप से पूजा और स्नान के लिए शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त:
स्नान मुहूर्त: 14 जनवरी को सुबह 5:46 से 11:45 बजे तक, इस समय के दौरान स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
दान-पुण्य: इस समय के दौरान तिल, गुड़, वस्त्र और अन्य दान देने का विशेष महत्व है। दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
मकर संक्रांति पर स्नान का महत्व और तरीका:
स्नान का महत्व: मकर संक्रांति पर स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन पवित्र नदी में स्नान करने के लिए अत्यंत शुभ है, जिससे आत्मा को शांति और ताजगी मिलती है।
कब और कैसे करें स्नान:
प्रातः काल: मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना विशेष लाभकारी होता है, क्योंकि इस समय स्नान करने से मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गंगा, यमुन, संगम या पवित्र नदियों में स्नान करें: यदि इन नदियों में स्नान संभव न हो, तो घर में गंगाजल डालकर स्नान करें। गंगाजल का उपयोग करने से भी पवित्रता का अनुभव होता है।
उपयुक्त मंत्र का जाप करें: स्नान करते समय “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ रवये नमः” जैसे मंत्रों का जाप करें। मंत्र जपने से ध्यान केंद्रित होता है और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
तिल और गुड़ का सेवन: स्नान के बाद तिल और गुड़ का सेवन करें, जिससे सेहत और समृद्धि में वृद्धि होती है। तिल और गुड़ का सेवन एक साथ करने से शरीर में गर्मी बनी रहती है और यह सर्दियों में विशेष लाभकारी होते हैं।
मकर संक्रांति के दिन पूजा विधि:
सूर्य देवता की पूजा: सूर्योदय के बाद घर के पूजा स्थान पर सूर्य देवता की पूजा करें। सूर्य को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है।
तिल, गुड़ और ताजे फल का भोग: सूर्य देवता को तिल, गुड़ और ताजे फल अर्पित करें। यह भोग विशेष रूप से शुभ माना जाता है और इससे सूर्य देवता की कृपा प्राप्त होती है।
दीप दान करें: घर के आंगन में दीपक लगाएं और दान करें, खासकर गरीबों और जरूरतमंदों को तिल और गुड़ दान करना श्रेष्ठ माना जाता है। यह दान न केवल पुण्य देता है, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है।
विशेष टिप्स:
इस दिन राहुकाल और यमगंड से बचें। ये समय पूजा और शुभ कार्यों के लिए अशुभ माने जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन तिल के लड्डू बनाकर परिवार और दोस्तों के बीच बांटना एक परंपरा है। यह न केवल मिठास बढ़ाता है, बल्कि संबंधों को भी मजबूत करता है।
मकर संक्रांति एक नई शुरुआत का प्रतीक है, इसलिए इस दिन पुराने झगड़े और द्वेष को खत्म कर नए संबंधों की शुरुआत करें। इसे मनाने का यह तरीका न केवल व्यक्तिगत जीवन में सुधार लाता है, बल्कि समाज में भी एकता का संदेश देता है।