Uttar Pradesh में एक विवाद सामने आया, जिसमें पूर्व विधायक और पुलिस अधिकारियों के बीच तीखी बहस हो गई। यह घटना लखीमपुर जिले के कोतवाली में हुई, जब बीजेपी विधायक योगेश वर्मा के समर्थक का बेटा पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। इस गिरफ्तारी के कारणों को लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश था, और विधायक वर्मा के समर्थक चिंतित थे कि उनके समुदाय के एक सदस्य को बिना उचित कारण के हिरासत में लिया गया है।

इस पर विधायक कोतवाली पहुंचे और पुलिस के व्यवहार से नाराज होकर उन्होंने जमीन पर बैठने का निर्णय लिया। विधायक का यह कदम न केवल उनकी नाराजगी को दर्शाता था, बल्कि यह भी दिखाता था कि वह अपने समर्थकों के प्रति कितने गंभीर हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से मांग की कि वे उनके समर्थक के खिलाफ की गई कार्रवाई को तुरंत रद्द करें और उन्हें बिना शर्त रिहा करें।
पुलिस ने काफी देर तक विधायक से माफी मांगने की कोशिश की, यह समझते हुए कि यदि मामला बढ़ता है तो यह न केवल उनके लिए बल्कि पूरे पुलिस विभाग के लिए समस्या बन सकता है। पुलिस अधिकारियों ने विधायक को आश्वासन दिया कि वे मामले को गंभीरता से लेंगे और उचित कदम उठाएंगे। इस बीच, विधायक के समर्थक भी कोतवाली के बाहर इकट्ठा हो गए, जिससे स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई।
अंततः विधायक को शांत किया गया, और पुलिस ने आश्वासन दिया कि वे मामले की जांच करेंगे और जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई करेंगे। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि राजनीतिक और पुलिस के बीच संबंधों में कितनी जटिलताएँ होती हैं, और कैसे एक छोटी सी घटना बड़े विवाद का रूप ले सकती है। इसके अलावा, यह भी दर्शाता है कि स्थानीय नेताओं की भूमिका उनके समुदायों के प्रति कितनी महत्वपूर्ण होती है, खासकर जब बात उनके समर्थकों की आती है।